Wednesday 3 March 2010

अजंता और एलोरा गुफाएं

पिछले महीने अजंता और एलोरा गुफाएं देखी.  हम नागपुर से जलगाँव ट्रेन से गए.  जलगाँव में रात रुक कर सुबह अजंता के लिए निकले.  जलगाँव से अजंता बस से करीब डेढ़ घंटे का रास्ता है.  अजंता घुमने में हमें करीब तीन घंटे लगे.  अजंता से हम औरंगाबाद गए और दुसरे दिन एलोरा गुफाएं देखने गए.  अजंता से औरंगाबाद बस से करीब चार घंटे लगे.  औरंगाबाद से एलोरा ४५ मिनट का रास्ता है.

"गुफा" से मेरे मन में चट्टान में एक गोल गड्ढे की छवि आती है.  पर अजंता-एलोरा की गुफाओं को भव्य इमारतें कहना शायद ज्यादा उचित होगा.  इन्हें गुफाएं सिर्फ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये चट्टानों को काट कर बनायी गयी हैं.  अजंता में बौद्ध मंदिर हैं जिनमे चित्रकारी बहुत अच्छी है.  एलोरा में मूर्तियाँ हैं.  एलोरा घुमने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि यहाँ गुफाएं दूर-दूर और बहुमंजिला हैं.  एलोरा में इतनी सारी और इतनी मूर्तियाँ हैं की कुछ समय बाद आप उनसे बोर होने लगते हो.  पर इनमे से अगर एक मूर्ती भी किसी बड़े शहर में होती तो एक पर्यटक स्थल बन जाती.  और अगर ऐसी आधी मूर्ती भी अमरीका के किसी शहर में होती तो उसे "Statue of tranquility" या ऐसा कोई नाम देकर महिमामंडित किया जाता.

अजंता में साफ़ सफाई और रख-रखाव बहुत अच्छा है.  इसके उलट एलोरा कि दुर्गति देखकर बुरा लगता है.

ध्यान रखने लायक बातें:
  • सुबह जल्दी निकलें.  भीड़ और धुप से बचेंगे.
  • औरंगाबाद से एलोरा के बीच सरकारी बस से सफ़र करें.  काली-पीली टैक्सियों से बचें.
  • अजंता से चार कि.मी. दूर से आप सरकारी बस पकड़ कर आप अजंता गुफाओं तक जाओगे.  यहाँ से कुछ खाने के लिए खरीद लें क्योंकि अजंता गुफाओं के पास भोजन कि व्यवस्था अच्छी नहीं है.
  • जेबकतरों से सावधान.  एक विदेशी नागरिक इस बाबत शिकायत कर रही थी.
  • अजंता में कैमरा फ्लैश का प्रयोग वर्जित है.

रेटिंग: 
  • अजंता: *****
  • एलोरा: ****