Thursday, 19 August 2010

पीपली [Live]

पीपली लाइव बहुत अच्छी लगी.  इसे जरूर देखें.  पर ये बच्चों के लायक नहीं है क्योंकि इसमें गालियाँ बहुत हैं.  परिवार के साथ देखना भी मुश्किल है.  कुछ जगह तो लगा कि गालियाँ वास्तविकता दर्शाने के लिए जरूरी थी पर कहीं कहीं मुझे लगा कि गालियाँ सिर्फ दर्शकों को हसाँने के लिए डाली गयी हैं.  फिल्म में जब भी कोई गाली देता है, थियेटर में दर्शक जोर-जोर के हँसते हैं.  कुछ गालियाँ दर्शकों के इस रुझान के लिए डाली गयी लगती हैं.

फिल्म में हर किरदार के लिए बहुत उपयुक्त कलाकार को लिया गया है.  फोटोग्राफी बहुत अच्छी है.  और अधिक मैं नहीं लिखूंगा, आप खुद ही देख लें.

रेटिंग: ****

Once upon a time in Mumbai

ये फिल्म सिर्फ अजय देवगन के प्रशंसकों के लिए ठीक है.  जब तक अजय देवगन स्क्रीन पर रहता है फिल्म को झेलते बनता है.  रोमैंटिक सीन्स में तो देवगन भी बोर करता है.  टाइम पास के लिए फिल्म ठीक है.

रेटिंग: **

Wednesday, 3 March 2010

अजंता और एलोरा गुफाएं

पिछले महीने अजंता और एलोरा गुफाएं देखी.  हम नागपुर से जलगाँव ट्रेन से गए.  जलगाँव में रात रुक कर सुबह अजंता के लिए निकले.  जलगाँव से अजंता बस से करीब डेढ़ घंटे का रास्ता है.  अजंता घुमने में हमें करीब तीन घंटे लगे.  अजंता से हम औरंगाबाद गए और दुसरे दिन एलोरा गुफाएं देखने गए.  अजंता से औरंगाबाद बस से करीब चार घंटे लगे.  औरंगाबाद से एलोरा ४५ मिनट का रास्ता है.

"गुफा" से मेरे मन में चट्टान में एक गोल गड्ढे की छवि आती है.  पर अजंता-एलोरा की गुफाओं को भव्य इमारतें कहना शायद ज्यादा उचित होगा.  इन्हें गुफाएं सिर्फ इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये चट्टानों को काट कर बनायी गयी हैं.  अजंता में बौद्ध मंदिर हैं जिनमे चित्रकारी बहुत अच्छी है.  एलोरा में मूर्तियाँ हैं.  एलोरा घुमने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि यहाँ गुफाएं दूर-दूर और बहुमंजिला हैं.  एलोरा में इतनी सारी और इतनी मूर्तियाँ हैं की कुछ समय बाद आप उनसे बोर होने लगते हो.  पर इनमे से अगर एक मूर्ती भी किसी बड़े शहर में होती तो एक पर्यटक स्थल बन जाती.  और अगर ऐसी आधी मूर्ती भी अमरीका के किसी शहर में होती तो उसे "Statue of tranquility" या ऐसा कोई नाम देकर महिमामंडित किया जाता.

अजंता में साफ़ सफाई और रख-रखाव बहुत अच्छा है.  इसके उलट एलोरा कि दुर्गति देखकर बुरा लगता है.

ध्यान रखने लायक बातें:
  • सुबह जल्दी निकलें.  भीड़ और धुप से बचेंगे.
  • औरंगाबाद से एलोरा के बीच सरकारी बस से सफ़र करें.  काली-पीली टैक्सियों से बचें.
  • अजंता से चार कि.मी. दूर से आप सरकारी बस पकड़ कर आप अजंता गुफाओं तक जाओगे.  यहाँ से कुछ खाने के लिए खरीद लें क्योंकि अजंता गुफाओं के पास भोजन कि व्यवस्था अच्छी नहीं है.
  • जेबकतरों से सावधान.  एक विदेशी नागरिक इस बाबत शिकायत कर रही थी.
  • अजंता में कैमरा फ्लैश का प्रयोग वर्जित है.

रेटिंग: 
  • अजंता: *****
  • एलोरा: ****

Friday, 5 February 2010

इश्किया

परसों इश्किया देखी.  कुल मिलाकर कहूँ तो अच्छी नहीं लगी.  फिल्म अच्छी नहीं लगी.  विद्या बालन बहुत अच्छी लगी.  शायद ये विद्या बालन की पहली फिल्म है जिसमे वह मुझे ख़ूबसूरत लगी.  विद्या बालन, नसीरुद्दीन शाह, और अरशद वारसी तीनो ने बहुत बढ़िया काम किया है.  अगर आप फिल्म किरदारों को देखने जाते हैं, तो ये फिल्म आपको बहुत पसंद आएगी.  फिल्म में कहानी है.  बिलकुल है.  और बड़ी घुमावदार है.  पर ऐसा नहीं लगता की फिल्म कहानी सुनाने के लिए बनायी गयी है.  यूँ लगता है की फिल्म तीन किरदारों और उनके बीच की कामुकता को दिखाने के लिए बनायी गयी है.  जिसमे वह सफल है.  कहानी ज़रूरी है इसलिए है.

फिल्म में फोटोग्राफी अच्छी है.  "दिल तो बच्चा है जी..." गीत का मुखड़ा कर्णप्रिय है.  अन्य गीतों की तरफ मेरा ध्यान नहीं गया.  फिल्म परिवार के साथ देखने योग्य कदापि नहीं है.

रेटिंग: **

Monday, 1 February 2010

Retirement !!

अंततोगत्वा कल शाम मैंने अपना retirement घोषित कर दिया.  बहुत से लोगों ने मुझसे पूछा कि मेरे लिए retirement का मतलब क्या है.  मेरे लिए retirement का मतलब वही है जो किसी ६० साल के व्यक्ति के लिए होता है.  मेरी उम्र कम होने से कोई और मतलब होना चाहिए ऐसा मुझे नहीं लगता.  मैं अपनी बाकी ज़िन्दगी में ऐसे काम करना चाहूँगा जिनसे मुझे ख़ुशी मिले.  ऐसे काम  क्या हैं ये शायद अभी मुझे नहीं पता.  मैं पता करूँगा.

Thursday, 28 January 2010

आपने पूछा

ये शब्द इतने रूखे क्यों हैं
जज़बात इतने सूखे क्यों हैं
इन पर घी क्यों न लगाया
इन्हें मुलायम क्यों न बनाया

वाक्यों में लचक नहीं
ख्यालों में चहक नहीं
इनमे मसाला क्यों न मिलाया
इन्हें चटपटा क्यों न बनाया

मुहावरों की खलती है कमी
भावनाओं में नहीं है नमी
अलंकार गए हैं थम
चीनी है ज़रा कम

वाचकजी नमस्कार
ध्यान रखूँगा आपका स्वाद
आलोचना के लिए धन्यवाद
पेश है एक विनम्र प्रतिवाद

तथ्यों की परोसदारी है
दृष्टिकोण से सँवारी है
बेहद पौष्टिक खाना है
हैल्दी फ़ूड का ज़माना है

सौरभ सेठिया
२८ जनवरी २०१०

Wednesday, 20 January 2010

राजकमल रिज़ौर्ट घोड़ाझरी

पिछले रविवार मैं एक पिकनिक में शामिल हुआ था.  हम लोग राजकमल रिज़ौर्ट घोड़ाझरी गए थे.  घोड़ाझरी नागपुर से १०५ कि.मी. दूर है.  वहाँ एक झील के किनारे राजकमल रिज़ौर्ट है.  इस रिज़ौर्ट का प्रवेश शुल्क मात्र १० रु. है.  बोटिंग की सुविधा है.  साफ़-सफाई ठीक है.  पिकनिक के लिए बढ़िया है.  सो मैं इसे एक अच्छा पिकनिक स्पौट कहूँगा, रिज़ौर्ट नहीं.  हालाँकि वहाँ रहने की सुविधा भी है.  तीन कमरे हैं, जिनका किराया क्रमशः ४००, ५००, और ६०० रुपये है.  पिकनिक के लिए भी नागपुर से काफी दूर है.  मुझे लगा की ऐसी पिकनिक तो हम अम्बाझरी पार्क में भी कर सकते थे.

रेटिंग: **